कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाला फैसला सुनाते हुए, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस फैसले के अनुसार, अब ऑफिस आते-जाते समय होने वाले हादसों को भी ‘ड्यूटी पर हुआ हादसा’ माना जाएगा। यह निर्णय उन लाखों कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्हें अब तक ऐसे मामलों में मुआवजे और अन्य लाभों से वंचित रहना पड़ता था।
फैसले का महत्व और कर्मचारियों के लिए लाभ
यह फैसला ‘नोशनल एक्सटेंशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट’ (रोजगार का काल्पनिक विस्तार) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि कर्मचारी का कार्यस्थल केवल ऑफिस परिसर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसमें ऑफिस आने और जाने का मार्ग भी शामिल है।
इस फैसले के मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
- दुर्घटना बीमा का लाभ: यदि किसी कर्मचारी को ऑफिस आते या जाते समय कोई दुर्घटना होती है, तो उसे अब ‘ड्यूटी पर’ मानी गई दुर्घटना के तहत दुर्घटना बीमा का पूरा लाभ मिल पाएगा।
- मुआवजा और अन्य सुविधाएं: ऐसे मामलों में, कर्मचारी या उसके परिवार को कंपनी या संबंधित प्राधिकरण से उचित मुआवजा और अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी, जैसा कि ड्यूटी के दौरान हुई किसी अन्य दुर्घटना में मिलता है।
- सुरक्षा का विस्तार: यह फैसला कर्मचारियों को कार्यस्थल के बाहर भी एक प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होता है।
- कानूनी स्पष्टता: यह निर्णय ऐसे मामलों में पहले से मौजूद कानूनी अस्पष्टता को दूर करता है, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए स्थिति अधिक स्पष्ट हो गई है।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह निर्णय उन स्थितियों को संबोधित करता है जहां कर्मचारी, अपनी रोज़मर्रा की यात्रा के दौरान, अप्रत्याशित जोखिमों का सामना करते हैं। पहले, कई बार ऐसे हादसों को ‘व्यक्तिगत’ मान लिया जाता था और कर्मचारी को कंपनी या कानून के तहत कोई सहायता नहीं मिल पाती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस विसंगति को दूर करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि कर्मचारी का हित सर्वोपरि है और उसकी सुरक्षा केवल कार्यस्थल के चार दीवारी तक सीमित नहीं है।
यह फैसला भारत में कर्मचारी अधिकारों के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है और यह भविष्य में ऐसे कई मामलों के लिए नजीर का काम करेगा, जहां कर्मचारियों को कार्यस्थल से संबंधित यात्रा के दौरान चोट या नुकसान का सामना करना पड़ता है।








